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Showing posts from October, 2021

वेद के बारे में वर्क रामपुर का नज़रिया ग़लत है!

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 रमज़ान रहमत और भलाई का महीना है और नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इस महीने में रहमत के काम दूसरे सब महीनों से ज़्यादा करते थे और रमज़ान जितने काम नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाईश के महीने में करने का कोई हुक्म नहीं मिलता। हर जमाअत को कुछ सादा लौह और कुछ राएज निज़ाम से असंतुष्ट और कुछ बाग़ी और कुछ विचारशील लोग हमेशा मिल जाते हैं। जिन्हें साथ लेकर अमीरे जमाअत इस्लाह करता है लेकिन मुस्लिमों की इस्लाह न तो आसान है और न ही 30-40 साल में मुमकिन है। अब शुरू होता है क़ुरआन की आयतों के नए अर्थ बताने का काम। इसमें आड़े आती हैं हदीसों की रिवायतें, तो उन्हें झुठला दिया जाता है कि हम इन्हें नहीं मानते। हम सबसे पहले क़ुरआन को मानते हैं। और फिर वे इस काम में आगे बढ़ते हैं और कहते हैं कि हलाल और हराम सब क़ुरआन में आ चुका है तो उनका वह हलाल और हराम भी पहले से चले आ रहे मुस्लिम समाज से अलग हो जाता है जिसपर शिया, सुन्नी और दूसरे फ़िरक़ों में बंटकर भी एक थे। इस तरह जो लोग फ़िरक़ावारियत के ख़िलाफ़ खड़े हुए थे, वे खुद मुत्लक़ मुज्तहिद बनकर नई फ़िक़ह और एक नया फ़िरक़ा बना देते...

स्वामी जी ने वेद में इतिहास न मानकर आर्य इतिहास ग़ायब कर दिया है और पुराणों को भी वास्तविक इतिहास न माना तो फिर सृष्टि के आरंभिक आर्य राजाओं का इतिहास कहाँ है?

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 आदरणीय तर्कशील बुद्धिमान भारतवासियो, आर्य समाजियों के लिए विचार विमर्श अत्यन्त कष्टप्रद लगता है क्योंकि स्वामी दयानंद जी ने पुराणों को इतिहास नहीं फ़र्ज़ी ग्रंथ माना और वेदों में भी इतिहास नहीं माना तो फिर इस तरह उन्होंने अपने झूठ से आर्यों का इतिहास ही ग़ायब कर दिया। अब तिब्बत के ऋषियों और वहां के राजाओं का इतिहास आज तक आर्य समाजी नहीं बता पाए कि तिब्बत में तीसरा चौथा राजा कौन सा था और सबसे पहला नियोग किस आर्य ने किया? ... क्योंकि स्वामी दयानंद जी ने यह अद्भुत घोषणा की है कि 4 ऋषियों के अन्तःकरण में 4 वेद तिब्बत में उतरे थे।   A- ये अपने मान्य ग्रन्थों से इन बातों का कुछ जवाब नहीं लिखते। जिससे इनका बुद्धिसंगत न होना सार्वजनिक हो जाता है। B-ये अपने मान्य ग्रन्थों से हट कर कुछ लिखेंगे तो  धरती पर रहने वाले दूसरे आर्य समाजी इन्हें वैसे मारेंगे जैसे स्वामी अग्निवेश को गिरा गिरा कर मारा था। स्वामी जी अपने आरोपित वेदार्थ में व्रात्य परमेश्वर को पहले खड़ा रहने वाला और बाद में बैठने वाला बताते हुए उसे क्षमा न करने वाला और आवागमन में ढकेलने वाला बताकर दुनिया से गुज़रे। जबकि...