स्वामी जी ने वेद में इतिहास न मानकर आर्य इतिहास ग़ायब कर दिया है और पुराणों को भी वास्तविक इतिहास न माना तो फिर सृष्टि के आरंभिक आर्य राजाओं का इतिहास कहाँ है?

 आदरणीय तर्कशील बुद्धिमान भारतवासियो, आर्य समाजियों के लिए विचार विमर्श अत्यन्त कष्टप्रद लगता है क्योंकि स्वामी दयानंद जी ने पुराणों को इतिहास नहीं फ़र्ज़ी ग्रंथ माना और वेदों में भी इतिहास नहीं माना तो फिर इस तरह उन्होंने अपने झूठ से आर्यों का इतिहास ही ग़ायब कर दिया। अब तिब्बत के ऋषियों और वहां के राजाओं का इतिहास आज तक आर्य समाजी नहीं बता पाए कि तिब्बत में तीसरा चौथा राजा कौन सा था और सबसे पहला नियोग किस आर्य ने किया?

... क्योंकि स्वामी दयानंद जी ने यह अद्भुत घोषणा की है कि 4 ऋषियों के अन्तःकरण में 4 वेद तिब्बत में उतरे थे।  

A- ये अपने मान्य ग्रन्थों से इन बातों का कुछ जवाब नहीं लिखते। जिससे इनका बुद्धिसंगत न होना सार्वजनिक हो जाता है।

B-ये अपने मान्य ग्रन्थों से हट कर कुछ लिखेंगे तो  धरती पर रहने वाले दूसरे आर्य समाजी इन्हें वैसे मारेंगे जैसे स्वामी अग्निवेश को गिरा गिरा कर मारा था।

स्वामी जी अपने आरोपित वेदार्थ में व्रात्य परमेश्वर को पहले खड़ा रहने वाला और बाद में बैठने वाला बताते हुए उसे क्षमा न करने वाला और आवागमन में ढकेलने वाला बताकर दुनिया से गुज़रे। जबकि स्वामी दयानंद जी और पंडित लेखराम अब तक कहीं जन्म लेकर प्रकट न हुए और आर्य समाज के पतन की पराकाष्ठा यह है कि आर्य समाजी मंदिरों में नित्य 2 समय हवन होना भी बंद हो चुका है।

C-इसलिए अब कुंठित आर्य समाजी हवन बंद करके फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाते रहते हैं।

D-हरेक अपने धर्म के बिगाड़ को दूर करे और समाज  में सद्भाव से रहे। दूसरे धर्म पर कुछ सवाल या आपत्ति हो तो उनके धर्मगुरु के पास जाकर बात करे। कम जानने वालो से सोशल वेबसाईट्स पर बहस करने से सुधार कम और बिगाड़ ज़्यादा हो रहा है।

Moral Teaching:

मनुष्यो आर्य समाजियों की नफ़रत से बचो। ख़ुद भी नफ़रत न फैलाओ।

Comments

Popular posts from this blog

सनातन धर्मी विद्वान सूर्य, अग्नि और जल आदि प्राकृतिक तत्वों की उपासना करते हैं और यही वेदों में लिखा है

FAQ about WORK part 1

पुनर्जन्म और आवागमन की कल्पना में 2 बड़ी कमियाँ हैं