क्या है वेदों का ज़बरदस्त Agni Rahasya? आग जलाने की एक बढ़िया वीडियो के साथ देखें और समझें।

पुराने टाईम में लोग दो लकड़ियां मथ कर आग पैदा करते थे। आग जलाने वाली लकड़ी को अरणी कहते हैं। जिसे अरणी मंथन कहते थे। वैदिक ऋषि इसी प्रकार दो लकड़ियों के मंथन से अग्नि जलाते थे। यह एक रहस्य था। जिसे वेद को कलामुल्लाह कहने वाले मुस्लिम नहीं जानते। वे नीचे मुख वाली अरणी का अर्थ क़ुरआन बताने लगे और ऊपर मुख वाली अरणी का अर्थ वेद बताने लगे। आप इस वीडियो में नीचे मुख वाली और ऊपर मुख वाली दोनों तरह की अरणी देख सकते हैं और अरणी मंथन भी देख सकते हैं।


अब आप कितने दूर कितने पास नामक पुस्तक के ये दो पृष्ठ 17 व 18 देखिए-

यह वेदों का अग्नि रहस्य है। इसे जानकर आप आज भी आग जला सकते हैं। पुराने टाईम आग जलाने का ज्ञान सबको नहीं था। उनकी नज़र में यह बहुत बड़ा रहस्य था और जो अग्नि रहस्य को जानता था, उसका बहुत सम्मान किया जाता था।

वेद पढ़ते समय यह बात याद रखें कि जब वेद के शाब्दिक अर्थ साफ़ हैं और उसके अनुसार करने से आग जल रही है तो फिर उसके अलंकारिक अर्थ लेकर उस मंत्र में अपनी कल्पना आरोपित करके मनमाना भावार्थ बनाने की ज़रूरत नहीं है।

मुझे यह अग्नि रहस्य डिस्कवर करने में 25 साल लग गए। फिर इसे लिखने में 5 साल लग गए कि लिखूँ या न लिखूँ?

आप खुशनसीब हैं कि 30 साल की मेहनत आपको चन्द मिनटों में नसीब हो गई, अल्हम्दुलिल्लाह!

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