जो लोग पुनर्जन्म या आवागमन में विश्वास करते हैं, यह लेख उनके लिए है। पुनर्जन्म को आवागमन के अर्थ में लिया जाता है और इसमें एक कमज़ोर बात यह है कि हर जन्म से पहले एक जन्म मानना आवश्यक है, जिसके कर्मों का फल भोगने के लिए दूसरा जन्म हुआ। फिर उससे पहले का जन्म क्यों हुआ? वह उससे पहले के जन्म के कर्मफल भोगने के लिए हुआ। इस प्रकार हर जन्म से पहले एक जन्म मानना पड़ता है और कोई भी जन्म सबसे पहला जन्म नहीं कहलाता। इस आवागमन को मानने से यह स्पष्ट नहीं होता कि मनुष्य का पहला जन्म कब और क्यों हुआ? वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती पर मनुष्यों से पहले पेड़ पौधे और पशु पैदा हुए? ये किस पाप की सज़ा भुगतते रहे जबकि अभी धरती पर मनुष्यों ने कोई पाप ही नहीं किया था? पहले मनुष्य होते, वे पाप करते तो वे पापी पेड़-पौधे और पशु-पक्षी बनते लेकिन विज्ञान ने सिद्ध किया है कि पहले पेड़-पौधे और पशु-पक्षी बने। उनके बाद धरती पर मनुष्य पैदा हुआ।
मूलशंकर वास्तव में अपनी एक बहन और चाचा की मौत से बहुत डर गए थे। उन्होंने धार्मिक कथाओं में सुन रखा था कि योग करने वाले योगी अमर हो जाते हैं। जबकि ऐसा नहीं होता। वह अमर होने के लिए घर से सच्चे योगी गुरू की खोज में निकले और हिमालय के ऊपर तक चढ़ गए लेकिन उन्हें कोई सच्चा योगी गुरू न मिला। मूलशंकर जी ने लिखा है कि मुझे आश्रमों में भी सच्चा योगी गुरू न मिला। फिर उन्होंने एक नदी में डूबकर अपने प्राण देने की कोशिश की और जब वे गले से ऊपर तक पानी में पहुंचे तो उन्होंने पाखंडियों की पोल खोलने का निश्चय किया। यह बात लेखराम कृत स्वामी दयानन्द जी की जीवनी में लिखी है। अब आगे आप देख सकते हैं कि वह धर्म को व्यवसाय बनाए हुए सनातनी पंडितों की पोल खोलने में सफल रहे क्योंकि उन्हें इसका अनुभव था। वेद का सच्चा अर्थ करना उनके बस का न था। उन्होंने पृथ्वी, आकाश, राहु, केतु, कुबेर और घोड़ा सब नाम परमेश्वर के बताकर वेदमन्त्रों का मनमाना अनुवाद ऐसे कर डाला। जैसे दर्ज़ी कपड़े को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ काटता है। ऐसा करने के बाद ही वह वेदों को परमेश्वर की वाणी घोषित कर सके, जोकि वह नहीं है। सत्यार्थ प्रकाश मे...
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