सनातन धर्मी विद्वान सूर्य, अग्नि और जल आदि प्राकृतिक तत्वों की उपासना करते हैं और यही वेदों में लिखा है
एक आम आदमी के लिए हरेक धर्मग्रंथ को पढ़ना ज़रूरी नहीं है। इसीलिए सब लोग सारे धर्मग्रंथों को पढ़ते भी नहीं हैं। अधिकतर लोग अपने ही धर्म के ग्रंथ को नहीं पढ़ते। लेकिन मैं मुस्लिमों को यह सलाह दूंगा कि अगर आप अपने धर्मग्रंथ को पढ़ें तो उसका मान्यताप्राप्त अर्थ पढ़ें, जिसे सैकड़ों साल से आलिम मानते आ रहे हों। मैंने क़ुरआन पढ़ा तो सबसे पहले शाह रफ़ीउद्दीन साहब का अनुवाद पढ़ा। मैं अहले क़ुरआन फ़िरक़े के किसी आलिम का अनुवाद नहीं पढ़ूंगा। जिसमें पुराने शब्द के नए अर्थ लेकर नवीन अर्थ कर दिए और सवाल हल करने के बजाय और ज़्यादा सवाल खड़े कर दिए। उनके नए और अनोखे अनुवाद शिया-सुन्नी दोनों फ़िरक़ों के आलिम नहीं मानते। इसी नियम के आधार पर मैंने वेद और उपनिषद पढ़े तो पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी आदि #सनातन_धर्म के विद्वानों के अनुवाद पढ़े। जिनके ज्ञान में वेदार्थ सैकड़ों साल से चला आ रहा है और वे व्याकरण के नियमों से खेलकर कोई नया अर्थ नहीं बताते बल्कि वही पुराना अर्थ बताते हैं, जो सैकड़ों या हज़ारों साल से परंपरा से चला आ रहा है और वे विद्वान उसी अर्थ के अनुसार उपासना करते भी हैं जैसे कि वे...
Comments
Post a Comment