एक आम आदमी के लिए हरेक धर्मग्रंथ को पढ़ना ज़रूरी नहीं है। इसीलिए सब लोग सारे धर्मग्रंथों को पढ़ते भी नहीं हैं। अधिकतर लोग अपने ही धर्म के ग्रंथ को नहीं पढ़ते। लेकिन मैं मुस्लिमों को यह सलाह दूंगा कि अगर आप अपने धर्मग्रंथ को पढ़ें तो उसका मान्यताप्राप्त अर्थ पढ़ें, जिसे सैकड़ों साल से आलिम मानते आ रहे हों। मैंने क़ुरआन पढ़ा तो सबसे पहले शाह रफ़ीउद्दीन साहब का अनुवाद पढ़ा। मैं अहले क़ुरआन फ़िरक़े के किसी आलिम का अनुवाद नहीं पढ़ूंगा। जिसमें पुराने शब्द के नए अर्थ लेकर नवीन अर्थ कर दिए और सवाल हल करने के बजाय और ज़्यादा सवाल खड़े कर दिए। उनके नए और अनोखे अनुवाद शिया-सुन्नी दोनों फ़िरक़ों के आलिम नहीं मानते। इसी नियम के आधार पर मैंने वेद और उपनिषद पढ़े तो पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी आदि #सनातन_धर्म के विद्वानों के अनुवाद पढ़े। जिनके ज्ञान में वेदार्थ सैकड़ों साल से चला आ रहा है और वे व्याकरण के नियमों से खेलकर कोई नया अर्थ नहीं बताते बल्कि वही पुराना अर्थ बताते हैं, जो सैकड़ों या हज़ारों साल से परंपरा से चला आ रहा है और वे विद्वान उसी अर्थ के अनुसार उपासना करते भी हैं जैसे कि वे...
वर्क रामपुर की विचारधारा के संबंध में जो प्रश्न मुझसे बार-बार पूछे जाते हैं उनमें से कुछ प्रश्न ये हैं: प्रश्न: क्या आप मानते हैं कि वर्ष 2026 में हिंदू क़ौम बदलकर मुस्लिम होने जा रही है? उत्तर: नहीं, ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। अगर आप समझ रहे हैं कि हिंदू क़ौम सन 2026 मूर्ति पूजा छोड़कर नमाज और हज करने लगेगी हिंदू क़ौम के मर्द अपना करवा लेंगे और हिन्दू औरतें शरीअते इस्लाम के मुताबिक़ हिजाब पहनने लगेंगी तो यह केवल आपका अपना परसेप्शन है। ऐसा नहीं होने जा रहा है। आपको यह बात ठीक से समझने की ज़रूरत है कि कोई बड़ी और पुरानी क़ौम अपने अन्दर किस तरह बदलाव लाती है? जब एक पुरानी क़ौम किसी तेज़ फैलती हुई नई विचारधारा के संपर्क में आती है तो पुरानी क़ौम का एक वर्ग अपना भौतिक हित देखकर उसमें शामिल हो जाता है और उसी कौम का शासन करने वाला एक वर्ग अपनी क़ौम को घटता हुआ देखकर इस पलायन को रोकने के लिए उस नई तेज़ फैलती हुई विचारधारा से समस्याओं के समाधान के तत्व अपनी विचारधारा में लेकर उसे अपडेट करता है ताकि उसके अनुयायियों को नई विचारधारा के तत्व पुराने समाज में ही मिल जाएं। जिससे वे पुराने समाज...
जो लोग पुनर्जन्म या आवागमन में विश्वास करते हैं, यह लेख उनके लिए है। पुनर्जन्म को आवागमन के अर्थ में लिया जाता है और इसमें एक कमज़ोर बात यह है कि हर जन्म से पहले एक जन्म मानना आवश्यक है, जिसके कर्मों का फल भोगने के लिए दूसरा जन्म हुआ। फिर उससे पहले का जन्म क्यों हुआ? वह उससे पहले के जन्म के कर्मफल भोगने के लिए हुआ। इस प्रकार हर जन्म से पहले एक जन्म मानना पड़ता है और कोई भी जन्म सबसे पहला जन्म नहीं कहलाता। इस आवागमन को मानने से यह स्पष्ट नहीं होता कि मनुष्य का पहला जन्म कब और क्यों हुआ? वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती पर मनुष्यों से पहले पेड़ पौधे और पशु पैदा हुए? ये किस पाप की सज़ा भुगतते रहे जबकि अभी धरती पर मनुष्यों ने कोई पाप ही नहीं किया था? पहले मनुष्य होते, वे पाप करते तो वे पापी पेड़-पौधे और पशु-पक्षी बनते लेकिन विज्ञान ने सिद्ध किया है कि पहले पेड़-पौधे और पशु-पक्षी बने। उनके बाद धरती पर मनुष्य पैदा हुआ।
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